क्या आप जानते है की भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन क्या है?

भारत के आज़ादी के समय के कुछ महत्वपूर्ण घटनाये – भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन 

भारत के आज़ादी के समय घटित कुछ महत्वपूर्ण घटनाये जैसे :- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में जानेंगे क्योकि भारत के आज़ादी के पहले और आज़ादी के बाद भी कुछ एसी घटनाये घटी जो इतिहास में अमर हो गयी तथा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के समय के घटनाओ के बारे में जान के आज भी उन से सिखाते है । तो चलिए आज के इस पोस्ट में हम भारत के आज़ादी के समय के कुछ महत्वपूर्ण घटनाये – भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में जानते है ।

Table of Contents

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन क्या है
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन क्या है
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन क्या है?

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन :- जब भारत में अंग्रेज़ो का आगमन हुआ और फिर अंग्रेज़ो ने धीरे – धीरे भारत को गुलाम बनाते हुए भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी को स्थापित कर दिया व्यापर करने के नाम पर तथा अंग्रेज़ो बड़ी चालाकी से धीरे – धीरे पुरे भारत को गुलाम बना लिया तथा यहाँ के लोगो पर बड़ी कुरुरता शासन करने लगे तथा अंग्रेज़ो ने भारत में अपने नियम – कानून को लागू करने लगे जिससे यहाँ के लोगो को काफी दिकत होने लगी क्योकि अंग्रेजी सरकार यहाँ के लोगो से 24 जानते काम कराती थी और मज़दूरी बहुत ही काम देती थी ।

उसी समय विश्व के कई देशो के लोग अपने देश और खुद को आज़ाद करने के लिए आंदोलन कर रहे थे । जिसको देखते हुए भारत के लोगो ने भी अपनी और अपने देश की आज़ादी के लिए आंदोलन करने लगे जो एक देश हित में था इसलिए इन सभी को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन कहा जाता है ।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन उन सभी आंदोलनों को कहा जाता है जो देश हित के किया गया हो उसे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन कहा जाता है ।

निशस्तीकरण क्या है ? 

निशस्तीकरण का अर्थ होता है की शस्त्र ( हथियार ) के हिंसक प्रयोग को रोकना अथार्त विश्व शांति के लिए घातक हथियारों पर रोक लगते हुए प्रयास करना । विश्व में शांति की स्थापना के लिए घातक हथियारों के उत्पादन के होड़ के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ( UNO ) में निशस्त्रीकरण शब्द का इस्तेमाल किया गया है ।

निशस्तीकरण में भारत की भूमिका :-
निशस्त्रीकरण में भारत की भूमिका हमेशा से रही है तथा भारत इसका पूरा समर्थन करता है क्योकि जब 1970 के दसक में जब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ में ये घोषणा की , की कोई भी देश अब से परमाणु परीक्षण नहीं करेगा तथा हथियार भी नहीं रखेगा तो भारत ने उस बैठक में इस घोषणा की पूरा बिरोध करते हुए भारत ने ये कहा की सभी देश अपने पास  रखे परमाणु हथियार के साथ जितने भी घातक से घातक हथियार है उन सभी हथियारों क को नष्ट करे जिसका समर्थन कई देशो ने किया ।
निशस्त्रीकरण को बल देने के लिए भारत ने कई घोषणाएं की है –
  1. भारत किसी भी अन्य देश देश के साथ पहले शस्त्र ( हथियार ) का प्रयोग नहीं करेगा ।
  2. भारत हथियारों की गैर से बाहर रहेगा तथा आवश्यकता न्यूनतम अवरोधक शक्ति बना रहेगा ।
  3. अक्टूबर 1987 में भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गाँधी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में बोलते हुए पूर्ण प्रामाणिक निशस्त्रीकरण की अपील की थी ।
  4. भारत भविष्य में भूमिगत परमाणु बिस्फोट नहीं करेगा ।
मार्शल योजना क्या है ?

1939 – 45 तक दिव्तीय विश्व युद्ध चला था जिसके कारण यूरोप की अर्थव्यवस्था छिन्न – भिन्न हो गयी चारो तरफ असंतोष दद्रिता तथा आर्थिक कष्ट का साम्राज्य छ गया था । पुरे यूरोप में साम्यवादी अर्थव्यवस्था फैलने लगी ।

साम्यवादी ताकतों को रोकने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश सचिव जार्ज मार्शल ने 1948 में एक योजना बनायीं तथा यूरोप का पुननिर्माण करना चाहा जिसे मार्शल योजना  के नाम से जाना जाता है ।

इसके लिए 1948 – 52 तक पश्चिमी यूरोप के 16 देशो को 20 अरब डॉलर सहायता देना स्वीकार किया यह सहायता उन देशो को दिया गया जो अपनी सत्ता में कम्युनिष्टो को कोई जगह नहीं देगा ।

पेरेस्त्रोइका तथा ग्लासनोस्त क्या है ?

जिस समय मार्च 1983 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति गोब्राचोव बने उस समय वहां की स्थिति काफी दयनीय थी। उस समय उस देश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा चुकी थी। सारी अर्थव्यवस्था राज्य की हाथो में थी तथा देश में लोगो की स्वतंत्रताओं को कुचल दिया गया था लोग आर्थिक संकट की दौर से गुजर रहे थे ।

एसी स्थिति में राष्ट्रपति गोब्राचोव ने देश की संकट को दूर करने की लिए तथा मजबूत जनता की स्वतंत्रता को बहाल करने की लिए एक विकासात्मक रास्ता अपनाया जिससे निजी अर्थव्यवस्था को पुनः स्थापित करने का रास्ता अपनाया गया । इस प्रकार सोवियत संघ के सामान को सभी के लिए एक सामान खोल देने ही ग्लास्सनोस्त कहलाया । क्योकि ग्लास्सनोस्त का अर्थ ही होता है – समाज को खोलो तथा पेरेस्त्रोइका का अर्थ होता है – आर्थिक नव – निर्माण कहते है ।

इस प्रकार सोवियत संघ को आर्थिक रूप से नव निर्माण करने के लिए राष्ट्रपति गोब्राचोव ने जो नीति बनायीं उसे ही पेरेस्त्रोइका के नाम से जाना जाता है।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन 1961 :- 

गुटनिरपेक्ष दो शब्दो के मेल से bana है – गुट + निरपेक्ष ( गुट – दलबाजी , निरपेक्ष – बेअसर ) अथार्त गुटनिरपेक्ष का तात्पर्य राष्ट्रों के गुटों से दूर रहकर अंतराष्ट्रीय मामलो में स्वतन्त्र विदेश निति का पालन करने से है।

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जब विश्व दो विरोधी खेमो में अमेरिका तथा रूस के रूप में विभाजित हो गया , तो भारत और कुछ अन्य देशो ने इन देशो के साथ गुटबंदी न करते हुए तटस्थ रहने की जो निति अपनायी उसे ही गुटनिरपेक्ष आंदोलन निति के नाम से जाना जाता है।

दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् विश्व दो गुटों में विभाजित हो गया – एक पश्चिमी देशो का गुट ( अमेरिका के नेतृत्व में ) तथा दूसरा साम्यवादी देशो का गुट ( रूस के नेतृत्व में ) 1956 में भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और युगोस्लाविया के रष्ट्रपति मार्शल टीटो और मिश्र के राष्ट्रपति अब्दुल नासिर , इन तीनो ने मिलकर गुटबंदी से तटस्थ रहने की बात दुहरायी तथा इन सभी के प्रयासों से 1961 में बेलग्रेड में गुटनीपेक्ष आंदोलन का स्थापना करते हुए उस समय 25 सदस्य देश मिलकर गुटनिरपेक्ष निति की शुरुआत कर दी। वर्तमान में इनके सदस्यों की संख्या 120 है।

शिमला समझौता :- 

आधुनिक बांग्लादेश में 1971 में गृह युद्ध छिड़ गया । जिसमे लाखो की संख्या में शरणार्थी भारत आये। भारत ने मानवीय अधिकारों के रक्षा के आधार पर उनको शरण दिया , जिसके विरोध स्वरूप पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत के कई हवाई अड्डों पर धावा बोल दिया । भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्यवाही की जिसमे पाकिस्तान युद्ध में हर गया।

1971 में बांग्लादेश के आज़ादी के लिए भारत तथा पाकिस्तान के बिच भारत – पाक युद्ध की समाप्ति के बाद दोनों देशो के बिच 1972 में शिमला में जो समझौता हुआ उसे ही शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है।

उद्देश्य :- 

  1. दोनों देश एक – दूसरे पर बल प्रयोग नहीं करेंगे।
  2. प्रांतीय अखंडता को दोनों देश नहीं तोड़ेगे।
  3. दोनों देश एक – दूसरे के राजनितिक स्वतन्रता में दखल नहीं देंगे।
  4. दोनों देश मैत्री पूर्ण संबंधो को बढ़ावा देंगे , साथ ही साथ यातायात , संचार , संस्कृति , विज्ञानं आदि में दोनों देश एक – दूसरे की सहायता करेंगे।
पंचशील समझौता :- 

भारत तथा चीन के बिच शांति स्थापित करने के लिए दोनों देशो के तत्कालीन प्रधान मंत्री के बिच 29 अप्रैल 1954 को जो समझौता हुआ , उसे ही पंचशील समझौता के नाम से जाना जाता है।

पंचशील वास्तव में 5 शील ( सिद्धांतो ) का एक समझौता था। जिसकी विशेषताएं निम्नलिखित थी –

  • एक – दूसरे के प्रादेशिक अखंडता तथा सर्वोचय सत्ता के प्रति पारस्परिक सम्मानता की भावना रखेंगे।
  • एक – दूसरे  के प्रदेश पर आक्रमण का परित्याग किया जाये।
  • एक – दूसरे के आंतरिक मामले में हस्तछेप नहीं करेंगे।
  • सामान्यता और पारस्परिक लाभ के सिद्धता के आधार पर मैत्री पूर्ण संबंधो को बढ़ाएंगे।
  • शांतिपूर्ण सह – अस्तित्व बनाये रखेंगे।

आज के भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के पोस्ट में हमने पुरे विस्तार से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में जाना। आपको यह पोस्ट ( भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन ) कैसा लगा हमें comment Box में बता सकते है। और इस पोस्ट ( भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन ) को अपने दोस्तों या सोशल मीडिया पर share जरूर करे। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक बार जरूर पढ़े। धन्यवाद!

Leave a Comment